सभी वार्ड सचिवों के लिए यह खास जानकारी जानना जरूरी है
पटना: बिहार के तमाम वार्ड सचिवों से सरकार लगभग 5 वर्षों तक काम कराने के बाद ना तो बिहार सरकार के तरफ से आज तक वार्ड सचिव को वेतन या भत्ता दिया गया, ना हीं वार्ड सचिव के बारे में आज तक बिहार सरकार कुछ भी बोलने का प्रयास किया। जिसके चलते बिहार के लाखों वार्ड सचिव बेरोजगार हो गए। एक वार्ड सचिव प्रणव जी ने जानकारी देते हुए बताया कि 2017 के आसपास में लाखों वार्ड सचिवों का बिहार में बहाल कर सात निश्चय योजना को धरातल पर उतारने का काम किया गया था और वार्ड सचिवों के द्वारा मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाने वाला यह सात निश्चय योजना को धरातल पर अच्छे तरीके से उतारने का काम किया गया था। बिहार का वार्ड सचिव पूरे बिहार में प्रत्येक पंचायत के प्रत्येक वार्ड में जहां भी छोटा-छोटा गली हो जहां भी नाली बनने लायक था गाली वाला सड़क बनने लायक था वार्ड सचिव के माध्यम से सात निश्चय योजना को उस जगह धरातल पर उतारने का काम करवाया गया था। जिसके एवज में बिहार सरकार के द्वारा वार्ड सचिव को कुछ भी मानदेय आज तक नहीं दिया गया। जबकि वार्ड सचिवों के द्वारा लगातार इसको लेकर धरना प्रदर्शन भी किया गया। धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस प्रशासन से भी कई बार पटना में नोक झोक हो गई। उसके बावजूद भी वार्ड सचिव धरना प्रदर्शन किया और कई बार कई नेता के द्वारा आश्वासन भी दिया गया कि वार्ड सचिव को स्थाई किया जाएगा। उसके बावजूद भी आज तक वार्ड सचिवों का मांग पूरा नहीं हो पाया। बिहार में सरकार भी बदला, सत्ता भी बदला, लेकिन वार्ड सचिव को आज तक कोई नहीं देखने वाला मिला। इतना दिनों से वार्ड सचिवों के द्वारा काम किया गया उसके बावजूद भी बिहार के कोई भी नेता वार्ड सचिव के हक के लिए कुछ भी बोलने को अब तैयार नहीं है। ना ही इस वार्ड सचिव के हित में कोई कदम उठा रहे हैं। लंबा समय तक वार्ड सचिव के द्वारा पटना में धरना प्रदर्शन किया गया। उसके बावजूद भी सरकार के द्वारा वार्ड सचिव के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया गया। आपको बता दे कि इतने लंबे समय से वार्ड सचिवों से बिहार सरकार मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाने वाला सात निश्चय योजना का कार्य वार्ड सचिवों के माध्यम से करवाया गया। कई वार्ड सचिव जो अपना परिवार का मेंटेनेंस बाहर कमाकर करता था वह व्यक्ति वार्ड सचिव बनकर अपना घर पर ही रहने लगा और वार्ड सचिव बनने के बाद मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना को धरातल पर उतारने का काम करने लगा। वार्ड सचिव को इतना आशा था कि हम मुख्यमंत्री का योजना को धरातल पर उतार रहे हैं इसके ऐवज में बिहार सरकार के द्वारा कुछ मानदेय भत्ता दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
वहीं वार्ड सचिवों के द्वारा बिहार के सभी जिला में मानदेय भत्ता, स्थाई करण, सरकारी कर्मी का दर्जा देने को लेकर धरना प्रदर्शन के साथ-साथ सांसद , विधायक, एमएलसी इस तरह के लगभग कितने नेता को आवेदन दिया गया। कई नेता ने तो कहा कि हम आप लोगों को स्थाई करवा देंगे, लेकिन हुआ क्या? कुछ भी नहीं हो पाया। हां कुछ नेता ने तो विधानसभा में भी हम वार्ड सचिवों का मांग को उठाया लेकिन सरकार सुने तब तो। बिहार के वार्ड सचिव अपना मांगे को पूरा करने के लिए पटना में दिन रात एक कर धरना प्रदर्शन किया उसके बावजूद भी कोई सफलता नहीं मिली। आगे फिर चुनाव होगा हम वार्ड सचिवों को एक बार अपनी ताकत का एहसान सरकार को करना पड़ेगा। क्योंकि हम वार्ड सचिवों को सरकार बेरोजगारी के ओर धकेल दिया है। हम वार्ड सचिव बेरोजगार हो गए हैं। हम पढ़े-लिखे वार्ड सचिव लगभग 5 साल के दरमियान में कोई नौकरी भी ढूंढ लेते। लेकिन हमें सात निश्चय योजना को धरातल पर उतारने के लिए कार्य करने का काम में फंसा दिया गया। जिसके कारण हमने अन्य जगह भी दूसरा कोई नौकरी 5 साल के दौरान नहीं ढूंढ पाया। हम कितने वार्ड सचिवों का उम्र सीमा भी खत्म हो गया। जिसके चलते हम लोग अब बेरोजगार हो गए हैं। हम वार्ड सचिवों को एक बार पुनः एक जुटता दिखाना पड़ेगा और बिहार सरकार को एहसास करना पड़ेगा हम वार्ड सचिवों का ताकत। हम लोगों का जो मुख्य मांगे है स्थाई करण, सरकारी कर्मी का दर्जा और मानदेय भत्ता दिया जाए। इन पर हम सभी वार्ड सचिव अभी भी अड़े हुए हैं और जब तक हम वार्ड सचिवों का मांग पूरा नहीं हो जाता तब तक हम वार्ड सचिव पीछा नहीं हटेंगे।
एक वार्ड सचिव भाई ने जानकारी देते हुए बताया कि आप हाल फिलहाल में देखिए शिक्षक लोगों को कितना खुशी मिल गई है। जो शिक्षक कर्मी को राज्य कर्मी का दर्जा नहीं था अब वह शिक्षक लोग को भी राज्य कर्मी का दर्जा मिल गया और वार्ड सचिव वही के वही खड़े रह गए, आखिर कब तक ? इतिहास में अगर आज तक सबसे बडा अन्याय हुआ है तो वो वार्ड सचिव के साथ हुआ है। हम लोगों को पटना के गर्दानी बाग में आंदोलन चलाना होगा। पहले जो आंदोलन चालू हुआ था काश वो आंदोलन बंद नहीं हुआ होता तो अभी तक हम वार्ड सचिवों का रिजल्ट पॉजिटिव आ गया रहता। हम वार्ड सचिवों को कागजी प्रक्रिया पूर्ण करने के साथ-साथ फिर से जोरदार धरना प्रदर्शन करके अपनी मांगे को मनाने का कोशिश करना चाहिए।
यदि हम लोग धरना प्रदर्शन नहीं करते हैं तो सरकार को लगेगा कि अब वार्ड सचिव लड़ते लड़ते थक कर सो गए। इसलिए सभी वार्ड सचिवों को फिर से एक बार मैदान में आकर और एक होकर बिहार सरकार के कान में दहाड़ मारकर अपना हक वार्ड सचिव का मानदेय भत्ता सरकारी कर्मी का दर्जा की मांग किया जाना चाहिए। हम वार्ड सचिवों का कोशिश बेकार नहीं जाएगा। कोशिश करने वाला का कभी हार नहीं होता है। परिश्रम कीजिए फल ऊपर वाला देता है।